विहारस्थान उपाश्रय जीर्णोधार महा अभियान
जिनशासन उपकारी हमारे साधु साध्वीजी भगवंत एक गांव से दूसरे गांव किसी वाहन के बिना चल कर जाते होते हे। जिसे विहारके नाम से जाना जाता हे।
हम लोग २जेड५ मिनिट का रास्ता भी वाहन के बिना नहीं जाते,पर हमारे श्रमण श्रमणि भगवंत हजारों किलोमिटर प्रभुकी आज्ञा मान कर पैदल चलते हे। उन्हें ना कोई शरीर की चिंता हे, ना किसी स्थान की, ठंडी हो या गरमी, कभी कोई नीचा ख्याल लाए बिना मन मे पभुकी आज्ञा का सर्व स्वीकार करके मस्ती से उनकी संयम यात्रा चलती हे।
इसे हमारे उपकारी महात्मा विहार यात्रा करके १२ – १५ km चलने के बाद जिस स्थान पहुंचते हे वहा हमने देखा की
कही पर वो स्थान खंडेर जैसा हो चुका है
तो कही स्थान की उपरकी छत टूटी हे,
तो कही कही पर बारी -दरवाजा टूटे हुवे हे।
तो कही पर टायलेट या बारिश का पानी नीचे गिर रहा है।
ऐसे स्थान पर १५ km का विहार करने के बाद हमारे महात्मा बिना कोई कंप्लेन रुकते हे,उनकी कभी इस बारे में कोई शिकायत या कोई डिमांड नही हुवी हे।लेकिन हमारा फर्ज हे की ऐसे स्थान को ठीक करवाना।
इससे दूसरा लाभ ये हे की गांव के उपाश्रय सही बनेंगे तो महात्मा गांव के अंदर के उपाश्रय में रुकेंगे जिससे सब गांव के प्राचीन जिनालयका लाभ मिलेगा और गांव के भीतर तक फिर से धर्म पहुंचेगा।
हमारा उद्देश्य हे की पूरे गुजरात के सभी विहार स्थानमे आने वाले उपाश्रय अच्छे करना।
अभी सूरत से गिरनार के रूट का काम चल रहा हे।और सूरत से पालीताना और पालीताना से गिरनार का सर्वे हो चुका हे और जल्द ये काम शुरू करनेकी भावना रखते हे।